July 5, 2025

अंबिकापुर : तिवारी कंस्ट्रक्शन में 2.30 करोड़ की सनसनीखेज धोखाधड़ी, साझेदारों ने ही रच डाली साजिश…

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अंबिकापुर। शहर में करोड़ों की धोखाधड़ी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें तिवारी कंस्ट्रक्शन फर्म के ही चार साझेदारों ने अपने सहयोगी के साथ साजिश रचकर 2.30 करोड़ रुपये हड़प लिए। पीड़ित ने जब अपने पैसे वापस मांगे, तो साझेदारों ने न केवल उसे फर्म से बाहर निकाल दिया, बल्कि उसके फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक खाते से संपूर्ण राशि भी उड़ा ली। अब न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।

टेंडर, उधारी और छल का जाल :
तिवारी कंस्ट्रक्शन फर्म की नींव 2013 में रखी गई थी, जिसमें अंबिकापुर निवासी शिवशंकर तिवारी और उनके चार सहयोगी—चंद्रकिशोर तिवारी, अतुल तिवारी, आलोक तिवारी और आरती देशमुख साझेदार थे। फर्म का उद्देश्य शासकीय टेंडर लेकर भवन निर्माण करना था। 2017 में जब फर्म को एक बड़ा शासकीय टेंडर मिला, तो शिवशंकर तिवारी ने अपनी पहचान और भरोसे का इस्तेमाल करते हुए बाजार से 2.30 करोड़ रुपये की निर्माण सामग्री उधार ली। ठेका पूरा हुआ और कंपनी को भारी मुनाफा हुआ, लेकिन जब शिवशंकर ने उधार की गई रकम का भुगतान करने के लिए हिस्सेदारी मांगी, तो उनके अपने ही साझेदारों ने धोखाधड़ी की साजिश रच डाली।

बैंक खाता होल्ड होते ही नई साजिश रची :
शिवशंकर को जब अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ, तो उन्होंने 31 मई 2024 को फर्म का बैंक खाता होल्ड करा दिया, जिससे कि आगे कोई वित्तीय लेन-देन न हो सके। लेकिन यह बात उनके साझेदारों को नागवार गुजरी। इसके बाद चारों ने 10 जुलाई 2024 को उप पंजीयक कार्यालय, अंबिकापुर में सुनियोजित साजिश के तहत कूटरचित दस्तावेज तैयार किए और शिवशंकर को बिना बताए उनकी हिस्सेदारी समाप्त कर दी। यही नहीं, आरोपियों ने शिवशंकर के फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक खाता दोबारा अनहोल्ड कराया और उसमें जमा पूरी राशि निकाल ली।

न्यायालय के आदेश पर मामला दर्ज :
जब शिवशंकर को इस जालसाजी का पता चला, तो उन्होंने न्यायालय में परिवाद दायर किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया। कोतवाली पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ धारा 318(4), 319(2), 320, 322, 336(3), 338, 340 के तहत गंभीर आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है।

साजिश की परतें खुलेंगी या बचे रहेंगे आरोपी? :
यह मामला अंबिकापुर के कारोबारी जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्या पुलिस जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार करेगी? या फिर कानूनी दांव-पेंच में यह मामला फंसकर रह जाएगा? अब देखना होगा कि न्याय की प्रक्रिया कितनी तेज़ी से आगे बढ़ती है।

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