December 13, 2025

व्यापारी के घर में घुसकर परिवार को बंधक बनाकर चाकू की नोंक पर की लूट, तीन माह बाद भी अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर,

1 min read
Spread the love

जिला ब्यूरो चीफ -ओंकार शर्मा

गरियाबंद छुरा – मामला गरियाबंद जिले के थाना छुरा क्षेत्र के ग्राम चरौदा का है जहां सुर्यकांत अग्रवाल नामक व्यापारी के घर 24 और 25 मई लगभग मध्यरात्रि को घर का चैनल गेट तोड़कर अपराधी घर में घुस कर चाकू की नोंक पर परिवार को बंधक बनाकर हाथ पैर और मुंह में टेप लगाकर इस लुट की घटना को अंजाम दिया गया। जिसमें पिड़ित परिवार की मानें तो घर के दरवाजे और अलमारी को तोड़कर 50-60 लाख की लुट की गई। एक तरफ इसी दिन यहां प्रशासनिक स्तर पर सुशासन शिविर का आयोजन किया गया था जहां लोगों की समस्याओं के निराकरण का कार्य किया जा रहा था तो दुसरी तरफ अपराधी इस घटनाक्रम को अंजाम देने की तैयारी में थे और लूटकांड की घटना का आज तीन माह बाद भी खुलासा अब तक नहीं हो सका है। अज्ञात लुटेरों ने घर में घुसकर चाकू की नोंक पर पूरे परिवार को बंधक बनाकर नकदी व कीमती गहने लूट लिया था। घटना को तीन माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। वहीं पिड़ित परिवार की मानें तो घटना के लगभग दो महीने बाद अपराधियों के द्वारा लुट में छीनी गई मोबाइल उन्ही के गांव के ग्रामीण को मिला था गांव के आस पास जिसे पुलिस ने जप्त कर उक्त ग्रामीण से भी पुछ ताछ की गई थी।
वहीं 26 अगस्त को बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक जनक ध्रुव छुरा दौरे पर पहुंचे तो पिड़ित परिवार ने विधायक को आवेदन सौंपते हुए अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की। जिस पर विधायक जनक ध्रुव ने छुरा थाना प्रभारी और गरियाबंद एसपी से फोन पर बात कर अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी करने की बात कही गई। जिस पर पुलिस ने जांच जारी है बताया।
वहीं हम छत्तीसगढ़ प्रदेश की बात करें तो लुट, हत्या, और साइबर ठगी जैसे घटनाएं लगातार बढ़ रही है और अब तक सरकार और प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में असफल नजर आ रहे हैं जिस पर अंकुश लगाने की जरूरत है,
घटना के बाद से पीड़ित परिवार लगातार डर के साये में जीने को मजबूर है। परिवारजन बताते हैं कि रात होते ही उन्हें भय सताने लगता है कि कहीं फिर से अपराधी घर में न घुस जाएं।
वहीं घटना की रात उनके दो स्कूली बच्चों को भी अपराधियों ने बंधक बनाया था जो आज भी डर के साये में है और सही रूप से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं जैसे ही रात होती है और पढ़ने बैठते हैं उन्हें ओ डरावनी रात याद आती है कहीं फिर से ओ लुटेरे रात में न आ जाए।
पुलिस द्वारा मामले की जांच किए जाने का दावा किया जा रहा है, परंतु अब तक न तो अपराधियों की पहचान हो पाई और न ही चोरी गया सामान बरामद हो सका है। इस वजह से पीड़ित परिवार ही नहीं, पूरे क्षेत्र में असुरक्षा का माहौल व्याप्त है।
एक तरफ देश के गृहमंत्री 2026 तक नक्सलियों के लिए डेडलाइन जारी कर चुके हैं और लगातार प्रयास भी जारी है। वहीं कुछ समाजसेवी और जानकारों की मानें तो लोगों को न्याय, सुरक्षा और सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिलने के चलते लोग गलत दिशा और धारा में जुड़ जाते हैं इस लिए नक्सलियों की सफाया के साथ लोगों को समय पर न्याय और शासन और सरकार की योजनाओं का लाभ मिले सके ये प्रयास भी जारी रखना जरूरी है।
पिड़ित परिवार और ग्रामीणों ने प्रशासन और पुलिस से मांग की है कि शीघ्र अपराधियों को गिरफ्तार कर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और गांव में भय का वातावरण समाप्त हो।

Loading

error: Content is protected !!