सरिया तहसील में प्रशासन के आंखों के सामने ई-स्टाम्प की सुविधा रहते हुए,वेंडरों की हठधर्मिता से 50 का स्टाम्प 100 से लेकर 150 रु तक खरीदने पर मजबूर…?
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सारंगढ़-बिलाईगढ़:- सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला अंतर्गत महज कुछ ही महीनों पहले आनन फानन में लोकार्पण किए गए नवीन कार्यालय तहसील एवं उप पंजीयक कार्यालय
सरिया में इन दिनों एक ऐसा गोरखधंधा चल रहा है, जिसने गरीब किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। सरकार ने पारदर्शिता और सुविधा के नाम पर ई-स्टाम्प सुविधा लागू की थी, ताकि आमजन को बिना परेशान हुए, बिना दलालों के चक्कर में पड़े, सीधे सरकारी दर पर स्टाम्प मिल सके। लेकिन सरिया तहसील में हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। यहां उप-पंजीयक कार्यालय होने और ई-स्टाम्प की सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद किसानों को ई-स्टाम्प जानबूझकर नहीं दिए जा रहे। मजबूरी में किसान 50 रुपए मूल्य के स्टाम्प पेपर को 100 से 150 रुपए तक खरीदने को विवश हैं।

ई-स्टाम्प है, लेकिन जनता को नहीं क्यों….? स्थानीय किसानों और ग्रामीणों का आरोप है कि ई-स्टाम्प की सुविधा होते हुए भी उसे आम नागरिकों को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। लोग जब ई-स्टाम्प की मांग करते हैं, तो उन्हें अलग-अलग बहाने सुनने को मिलते हैं—
- “सर्वर डाउन है…”
- “स्टॉक खत्म हो गया…”
- “मशीन काम नहीं कर रही…”
- “आज नहीं मिलेगा, कल आना…”
ऐसी बहानों की लंबी सूची के कारण किसान पूरे दिन तहसील कार्यालय के चक्कर लगाते-लगाते थक जाते हैं। बढ़ती परेशानियों के चलते अंततः उन्हें स्टाम्प वेंडरों से महंगे दामों पर स्टाम्प पेपर खरीदने की मजबूरी बन जाती है।
50 का स्टाम्प 150 तक,गरीब किसान लूट के शिकार.. इस मामले में सबसे शर्मनाक तथ्य यह है कि 50 रुपए का स्टाम्प पेपर किसानों को 100 से 150 रुपए में बेचा जा रहा है। यह खुली लूट है, खुलेआम अवैध कमाई है। किसानों की मजबूरी का जमकर फायदा उठाया जा रहा है।
एक किसान ने बताया—
“हम गरीब लोग हैं… रोज-रोज तहसील दौड़ नहीं सकते। मजबूर होकर वेंडर से 150 में स्टाम्प पेपर लेना पड़ा। ई-स्टाम्प होता तो यह हालत नहीं होती।”
कई किसानों ने आरोप लगाया कि यह सब मिलीभगत से हो रहा है, ताकि स्टाम्प वेंडरों के हाथों में अवैध रूप से रुपए बहते रहें।
आज जिलाधीश और एसडीएम निरिक्षण में आए,लेकिन सच्चाई छिपी रह गई….? सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार आज जिले के कलेक्टर व अनुविभागीय अधिकारी (रा.) द्वारा देर शाम तहसील कार्यालय का निरीक्षण किया गया। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इतना बड़ा गोरखधंधा अधिकारियों की नज़र से बचा रहा।
किसानों ने सवाल उठाया—
“क्या यह संभव है कि सरकारी सिस्टम में इतना बड़ा खेल चल रहा हो और अधिकारियों को भनक भी न लगे?”
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि निरीक्षण के समय सब कुछ ‘ठीक-ठाक’ दिखाया गया, वास्तविक समस्या छिपा दी गई। किसान चाहते थे कि अधिकारी सीधे उनसे बात करें, लेकिन मौके पर किसी को बोलने का मौका नहीं दिया गया।
ई-स्टाम्प प्रणाली किसानों और आमजन को राहत देने के लिए शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य था—
- पारदर्शिता
- भ्रष्टाचार पर रोक
- समय की बचत
- ऑनलाइन सुविधाएं
लेकिन सरिया तहसील में यह योजना कागजों में ही सीमित है। जमीनी हकीकत यह है कि किसान आज भी पुराने जमाने की तरह लूटे जा रहे हैं।
आंखिर किसकी है जवाबदेही….?
- किसान मजबूर क्यों किए जा रहे हैं?
- ई-स्टाम्प होते हुए भी जनता को क्यों नहीं दिया जा रहा?
- स्टाम्प वेंडर 50 रुपए का स्टाम्प 100 से लेकर 150 रुपए में कैसे बेच रहे हैं?
- निरीक्षण में यह गोरखधंधा छिप कैसे गया?
- इस मामले पर जिले के जिम्मेदार अधिकारी क्या कार्रवाई करेंगे?
यह सवाल अब आम जनता के बीच गूंज रहे हैं।
बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरिया तहसील में ई-स्टाम्प को लेकर चल रहा यह अवैध खेल न केवल कानून के खिलाफ है,बल्कि गरीब किसानों के साथ खुली धोखाधड़ी भी हैइसलिए यदि प्रशासन और जनप्रतिनिधि अब भी नहीं जागे, तो यह समस्या और गहराती जाएगी। किसानों के हित में तुरंत कार्रवाई जरूरी है, अन्यथा यह विश्वास टूट जाएगा कि सरकार की योजनाएं वास्तव में जनता के लिए हैं या सिर्फ कागजों पर ही पूर्ण हो जाता है….?
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