संविदा नियुक्ति पर घमासान : चौथी बार रिटायर अधिकारी को संविदा पर नियुक्ति, नियमों की अनदेखी से राज्य प्रशासनिक सेवा संघ नाराज़
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रायपुर । छत्तीसगढ़ में संविदा नियुक्ति को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। छत्तीसगढ़ प्रशासनिक सेवा संघ (CASA) ने जिलों में संविदा अपर कलेक्टर नियुक्ति को खत्म करने की मांग की है। वहीं बेमेतरा जिले में हाल ही में हुए कार्यविभाजन ने इस विवाद को और गहरा दिया है।

कलेक्टर ने संविदा अधिकारी को दिया वित्त व राजस्व कोर्ट का प्रभार

1 सितम्बर को जारी आदेश में बेमेतरा कलेक्टर ने कार्यविभाजन किया। यह आदेश जैसे ही राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के व्हाट्सएप ग्रुप में पहुँचा, तो चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। आदेश में एक चौंकाने वाली बात यह रही कि एक संविदा अधिकारी को न केवल जिले के प्रमुख वित्तीय विभागों का प्रभार दिया गया बल्कि राजस्व न्यायालय का कार्य भी सौंप दिया गया। नियमों के अनुसार यह जिम्मेदारी केवल नियमित अधिकारियों को दी जानी चाहिए, लेकिन संविदा नियुक्त अधिकारी को यह प्रभार देकर कलेक्टर ने विवाद खड़ा कर दिया।

संविधान और नियमों की अनदेखी

संविधान और सेवा नियमों में यह स्पष्ट है कि सेवानिवृत्ति के बाद संविदा नियुक्ति केवल अपवादस्वरूप और सीमित अवधि के लिए दी जा सकती है। लेकिन सूत्रों का दावा है कि एक रिटायर राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी को चौथी बार संविदा पर नियुक्त करने की सिफारिश की गई है। इसमें जिला कलेक्टर, एक वरिष्ठ मंत्री और सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) सचिव की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

CMO तक पहुँची संविदा नियुक्ति की फाइल

जानकार सूत्रों के अनुसार, संविदा नियुक्ति की यह फाइल अब सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) पहुँचा दी गई है। सूत्रों का कहना है कि फाइल पर “सुशासन बाबू” के निर्णय का इंतजार है।

CASA का विरोध, लेकिन फाइल आगे बढ़ी

छत्तीसगढ़ प्रशासनिक सेवा संघ ने इस पूरे मामले का विरोध करते हुए GAD सचिव को पत्र लिखा। लेकिन सूत्र बताते हैं कि विवादित संविदा अधिकारी ने बंद कमरे में सचिव से मुलाकात की, और उसके बाद संघ के पत्र को दरकिनार कर दिया गया। संघ अब भी नाराज़ है और मानता है कि यह नियुक्ति न केवल नियम विरुद्ध है, बल्कि नियमित अधिकारियों के अधिकारों का हनन है।

‘संविदा नियुक्ति करोड़ों का खेल’ – सूत्र
सूत्रों का दावा है कि संविदा नियुक्ति अब “करोड़ों का खेल” बन चुकी है। बेमेतरा के कार्यविभाजन को देखें तो स्पष्ट प्रतीत होता है कि जिले में यह अधिकारी महज प्रशासनिक जिम्मेदारी के लिए नहीं, बल्कि “वसूली अधिकारी” की भूमिका में नियुक्त किए गए हैं। जिले में वर्तमान में दो ADM (अपर कलेक्टर) पदस्थ हैं, जिनका भविष्य प्रशासनिक सेवा में है, लेकिन उन्हें दरकिनार कर संविदा अधिकारी को सबसे शक्तिशाली विभाग सौंप दिया गया।
मुख्य सवाल
- जब पर्याप्त संख्या में नियमित अधिकारी मौजूद हैं, तो संविदा नियुक्तियों की जरूरत क्यों?
- क्या संविदा नियुक्ति केवल “वसूली” और “राजनीतिक संरक्षण” का माध्यम बन चुकी है?
- मुख्यमंत्री कार्यालय इस पर क्या फैसला करेगा?
छत्तीसगढ़ प्रशासनिक सेवा संघ की नाराज़गी और बेमेतरा का मामला अब संविदा नियुक्तियों की पारदर्शिता और वैधता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।