मानसून सत्र में एन.एच.एम. कर्मचारियों का निर्णायक आंदोलन संभावित””मांगों पर दो माह से सरकार की चुप्पी एन.एच.एम.संविदा स्वास्थ्य कर्मियों में व्याप्त है भारी आक्रोश”
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रायगढ़,दिनांकः 29 जून 2025 //छत्तीसगढ़ प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) कर्मचारी संघ ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी वर्षों पुरानी व न्यायोचित मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो आगामी विधानसभा मानसून सत्र (14 से 18 जुलाई 2025) के दौरान बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
मई 2025 में संघ के प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य सचिव श्री अमित कटारिया और मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला से मुलाकात कर नियमितीकरण, ग्रेड पे, मेडिकल अवकाश, स्थानांतरण नीति जैसे बिंदुओं पर चर्चा की थी। अधिकारियों द्वारा एक माह में सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था, लेकिन दो माह बाद भी कोई निर्णय या ठोस कार्यवाही नहीं हुई है, जिससे कर्मियों में घोर असंतोष व्याप्त है।
शासन की उदासीनता से टूटा धैर्य-आंदोलन की सिफारिश जिलों से शुरूए इसी क्रम में जिला रायगढ़ मे भी संघ की बैठक, रायगढ़ स्टेडियम में आहूत की गई।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने बताया कि सभी जिलों से कर्मचारी आंदोलन में भाग लेने के लिए तैयार हैं और जिलाध्यक्षों द्वारा अनिश्चितकालीन आंदोलन की अनुशंसा की गई है।
वहीं जिला संघ की अध्यक्षा शकुंतला एक्का ने कहा-
कि “एन.एच.एम. संविदा कर्मियों का सब्र अब जवाब दे चुका है। शासन-प्रशासन की निष्क्रियता और वादा खिलाफी, सुशासन के दावों की असलियत उजागर कर रही है।”
बीते दो दशकों से अत्यंत विषम परिस्थितियों में कार्यरत ये कर्मी बिना ग्रेड पे, बिना मेडिकल अवकाश, और अल्प वेतन में भी निरंतर जनस्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं।
जनस्वास्थ्य को खतरा-जिम्मेदारी सरकार की होगी
एन.एच.एम. कर्मियों की बदौलत ही छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। लेकिन इन्हीं कर्मियों की उपेक्षा सरकार के दोहरे मापदंड को उजागर करती है।
मानसून के इस दौर में डायरिया, डेंगू, मलेरिया, उल्टी, सर्पदंश जैसी बीमारियों का प्रकोप आम है। ऐसे समय पर यदि हजारों कर्मी आंदोलन के लिए बाध्य होते हैं, तो इसका असर सीधे जनजीवन पर पड़ेगा। इस स्थिति की पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
अब भी अवसर है-सरकार करे संवेदनशील निर्णय
एन.एच.एम. संघ राज्य सरकार से पुनः आग्रह करता है कि संविदा कर्मियों की न्यायोचित, गैर-राजनीतिक और जनहितकारी मांगों पर तुरंत संज्ञान लेकर समाधान किया जाए, ताकि न सिर्फ कर्मचारियों का मनोबल बना रहे, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था भी सुचारु बनी रह सके।
प्रेषकः
छत्तीसगढ़ प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ, जिला ईकाई-रायगढ़
(हमेशा आगे कर्मचारियों के अधिकारों के लिए…)