हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करने वाले प्रभारी सीईओ पर शासन-प्रशासन मेहरबान!
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जिला ब्यूरो चीफ -ओंकार शर्मा

गरियाबंद, छत्तीसगढ़ दिनांक – 10/10/2025 छुरा जनपद पंचायत में न्यायालय के आदेश की खुलेआम अवहेलना, जिम्मेदार अधिकारी बने मौनदर्शक
छुरा (गरियाबंद)। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए जनपद पंचायत छुरा के प्रभारी सीईओ सतीष चन्द्रवंशी ने न्यायालय द्वारा अवैधानिक घोषित नियुक्ति को वैध ठहराकर सेवा में बनाए रखा है। हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी अवमानना के बाद भी शासन-प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
उच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश – नागेश साहू की नियुक्ति अवैधानिक
जनपद पंचायत छुरा में सहायक ग्रेड-III का केवल एक पद स्वीकृत है। इस पद पर पहले से कार्यरत पुनेश्वर सेन की सेवा समाप्त कर 1 अक्टूबर 2024 को नागेश साहू की नियुक्ति की गई थी।
पुनेश्वर सेन ने इस कार्रवाई को उच्च न्यायालय बिलासपुर में चुनौती दी, जहाँ न्यायालय ने नागेश साहू की नियुक्ति को अवैधानिक करार दिया और पुनेश्वर सेन की सेवा बहाल करने का आदेश दिया।
लेकिन प्रभारी सीईओ सतीष चन्द्रवंशी ने न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए न केवल पुनेश्वर सेन की बहाली नहीं की, बल्कि नागेश साहू को अब तक सेवा में रखे हुए हैं। यह सीधा हाईकोर्ट की अवमानना का मामला है।
जिला सीईओ का पत्र भी बेअसर
जिला पंचायत गरियाबंद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जी.आर. मरकाम ने दिनांक 20/06/2025 को आयुक्त, आदिमजाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग, रायपुर को पत्र भेजकर सतीष चन्द्रवंशी की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी की।
पत्र में उल्लेख है कि सतीष चन्द्रवंशी ने न केवल उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना की है, बल्कि जिला सीईओ के निर्देशों को भी नजरअंदाज किया है।
मरकाम ने यह भी लिखा कि यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965, 1966 के तहत दंडनीय अपराध है।
एक पद पर दो कर्मचारियों को भुगतान – प्रशासन मौन
जब जनपद में सहायक ग्रेड-III का केवल एक पद स्वीकृत है, तब दो कर्मचारियों को एक ही पद पर वेतन भुगतान किया जाना वित्तीय अनियमितता है।
फिर भी जिला प्रशासन ने अब तक इस प्रकरण पर कोई संज्ञान नहीं लिया है।
सूत्रों के अनुसार, प्रभारी सीईओ अपने राजनीतिक संपर्कों और प्रभावशाली व्यक्तियों से नजदीकी का हवाला देकर अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं।
आरटीआई में भी गोलमोल जवाब
इस पूरे मामले की जानकारी पाने के लिए मांगे गए आरटीआई दस्तावेजों में भी प्रभारी सीईओ द्वारा अधूरी या गोलमोल जानकारी दी गई है।
सूत्र बताते हैं कि दस्तावेज देने के बजाय आवेदकों को “मिलने-जुलने” की सलाह दी गई – जो प्रशासनिक ईमानदारी पर सवाल खड़ा करता है।
हाईकोर्ट की अवमानना का क्या है अर्थ?
न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 और संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत अदालत के आदेश का पालन न करना या न्यायिक गरिमा को ठेस पहुँचाना दंडनीय अपराध है।
ऐसे मामलों में जुर्माना या कारावास का भी प्रावधान है।
प्रशासनिक तंत्र की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
छुरा क्षेत्र में यह चर्चा आम है कि सतीष चन्द्रवंशी स्वयं को “मंत्री का खास” बताकर अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं।
स्थानीय स्तर पर यह सवाल उठ रहा है कि —
“क्या जिले का प्रशासनिक तंत्र किसी प्रभावशाली व्यक्ति के आगे झुक गया है?”
जनता की मांग – अवमानना पर हो सख्त कार्रवाई
ग्रामीणों व कर्मचारियों ने शासन से मांग की है कि हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करने वाले प्रभारी सीईओ सतीष चन्द्रवंशी पर विभागीय व कानूनी कार्रवाई की जाए,
साथ ही नागेश साहू की नियुक्ति से हुए वेतन भुगतान की वसूली भी सुनिश्चित की जाए।
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