सरगुजा भाजपा में खुली जंग: अंबिकापुर सीट पर गुटबाजी उफान पर, राजेश अग्रवाल निशाने पर!
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अंबिकापुर, 12 सितंबर 2025: सरगुजा की सियासत में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस की गुटबाजी के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में भी आंतरिक कलह खुलकर सामने आ रही है। खासकर अंबिकापुर विधानसभा सीट को लेकर पार्टी के भीतर चार धड़े आपस में भिड़ गए हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर अकील अहमद अंसारी ने अपने फेसबुक पोस्ट में इस सियासी घमासान का पर्दाफाश किया है, जिसमें राजेश अग्रवाल की जीत से उपजी खलबली और गुटबाजी की पूरी कहानी बयां की गई है।
राजेश अग्रवाल की जीत बनी मुसीबत
2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लखनपुर के राजेश अग्रवाल पर दांव खेला और उन्होंने महज 94 वोटों से जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। न केवल विधायक बने, बल्कि कैबिनेट मंत्री की कुर्सी भी हासिल की। लेकिन उनकी यह कामयाबी पार्टी के अन्य गुटों को रास नहीं आ रही। सूत्रों की मानें तो अग्रवाल की जीत ने भाजपा के भीतर सियासी भूचाल ला दिया है।
भाजपा में चार गुटों की खींचतान
अकील अहमद के फेसबुक पोस्ट ने भाजपा की गुटबाजी को उजागर किया है। उनके मुताबिक, पार्टी में चार गुट सक्रिय हैं:

- अनुराग सिंहदेव गुट: पैलेस से करीबी रिश्तों के लिए चर्चित।
- अनिल सिंह मेजर गुट: जिला अध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया का समर्थन।
- रामविचार नेताम गुट: प्रबोध मिंज और अंबिकेश केशरी जैसे नेताओं का समूह।
- कांग्रेस से आए भाजपायी गुट: राजेश अग्रवाल और आलोक दुबे जैसे नेताओं का दबदबा।
इनमें सबसे ज्यादा टकराव राजेश अग्रवाल को लेकर है, जिन्हें “जीतने वाला उम्मीदवार” होने का तमगा मिला है। यही वजह है कि बाकी गुट उन्हें निशाने पर ले रहे हैं।
अनुराग सिंहदेव की नाकामी
2008 में अनुराग सिंहदेव को टीएस सिंहदेव के खिलाफ उतारा गया था। युवाओं में उनके प्रति जबरदस्त क्रेज था, लेकिन संगठन के कमजोर समर्थन और उनकी कार्यशैली की खामियों ने उन्हें 2013 और 2018 के चुनावों में करारी हार की ओर धकेल दिया। भाजपा ने सबक लेते हुए रणनीति बदली और राजेश अग्रवाल को मौका दिया, जिसके नतीजे ने पार्टी को चौंकाया, लेकिन गुटबाजी को भी हवा दी।
सांठगांठ के गंभीर आरोप
अकील अहमद ने अपने पोस्ट में सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस के कुछ नेताओं के बीच जमीन और कारोबार में साझेदारी चल रही है। भाजपा महामंत्री अखिलेश सोनी और कांग्रेस नेता शफी अहमद की कथित साझेदारी को उन्होंने “ओपन सीक्रेट” करार दिया। इसके अलावा, भाजपा जिला अध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया पर धारा 420 के तहत दर्ज मामले के बावजूद उनकी सक्रियता पर भी सवाल उठाए गए हैं।
जनता का गुस्सा, सड़कों पर गड्ढे
अकील ने जनता की अनदेखी का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया। मनेंद्रगढ़ रोड के गड्ढों की मरम्मत के लिए आए फंड को कथित तौर पर अन्य क्षेत्र में शिफ्ट कर दिया गया। सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्याओं की अनदेखी से जनता में गुस्सा पनप रहा है।
अकील का तीखा हमला
अकील अहमद ने अपने पोस्ट में बिना किसी लाग-लपेट के नेताओं को आड़े हाथों लिया। उन्होंने लिखा:
- भाजपा और कांग्रेस सांठगांठ कर धन कमाने में लगे हैं।
- दोनों दल भविष्य के चुनावों की सेटिंग में व्यस्त हैं।
- आम आदमी पर छोटी-मोटी FIR होने पर वह डरता है, लेकिन रसूखदार नेता खुलेआम मंच साझा करते हैं।
- मीडिया भी “लिफाफा पत्रकारिता” में उलझा हुआ है।
उन्होंने राजेश अग्रवाल को सीधे चेतावनी दी: “अब आप मंत्री हैं। गुटबाजी हो या साजिश, सवाल आपसे ही होंगे। सरगुजा की जनता को विकास चाहिए!”
आगे क्या?
अंबिकापुर सीट लंबे समय से भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई थी। राजेश अग्रवाल की जीत ने पार्टी को नई उम्मीद दी, लेकिन आंतरिक गुटबाजी इस जीत को फीका कर सकती है। अब सबकी नजरें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर हैं कि वह इस सियासी घमासान को कैसे थामता है। क्या सरगुजा में भाजपा की एकता बरकरार रहेगी, या गुटबाजी पार्टी की राह में रोड़ा बनेगी? यह समय बताएगा।
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