September 8, 2025

गोबरसिंहा में दोहराई गई लापरवाही: विद्युत विभाग की नाफरमानी से ग्रामीणों की जान पर खतरा

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जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ 07/09/2025 गोबरसिंहा क्षेत्र में विद्युत विभाग की लापरवाही का नया मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर विभाग की कार्यशैली और गैर-जिम्मेदाराना रवैये पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दो दिन पूर्व हुई इस घटना ने ग्रामीणों को हिलाकर रख दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार भी लाइन को बंद और चालू करने का काम गैर-सरकारी व्यक्ति के कहने पर किया गया, जबकि यह कार्य केवल अधिकृत कर्मचारियों का होता है। इसी लापरवाही के चलते एक युवा गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसके दाहिने पैर के घुटने और कमर की हड्डी में गंभीर चोट आई। घायल को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इस पूरी घटना की न तो विद्युत विभाग को और न ही थाना में सूचना दी गई।

निजी अस्पताल में दबाकर रखने की कोशिश

मामले को दबाने के लिए घायल को पहले एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब स्थिति बिगड़ती दिखी तो मरीज को रायगढ़ ले जाया गया, लेकिन वहां भी बिना उचित इलाज कराए ही उसे घर वापस भेज दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इलाज क्यों अधूरा छोड़ दिया गया और मामले को दबाने की कोशिश क्यों की गई?

गैर-सरकारी लोगों को कैसे मिल रहा काम का परमिट?

इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—गैर-सरकारी लोगों को बिजली लाइन जैसे संवेदनशील कार्यों का परमिट आखिर मिलता कैसे है? सूत्रों के अनुसार सब-स्टेशनों पर कार्यरत ऑपरेटर ग्रामीणों के कहने पर समय-समय पर उन्हें लाइन बंद और चालू करने की सुविधा मुहैया कराते हैं। यह खेल वर्षों से चल रहा है और विभागीय अधिकारियों की चुप्पी इस मिलीभगत को और गहरा करती है।

विभागीय मॉनिटरिंग का अभाव

विभाग की सतत मॉनिटरिंग न होने से ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं। अधिकारियों को अपनी कुर्सियों और निजी लाभ की इतनी चिंता है कि वे जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने से कतराते हैं। बैठकर ही मिठाई और अन्य प्रकार के महंगे गिफ्ट मिलने की वजह से उन्हें अपने दायित्व की कोई परवाह नहीं है।

पिछली घटनाओं से सबक क्यों नहीं?

यह पहली बार नहीं है जब विद्युत विभाग की लापरवाही से किसी की जान पर बन आई हो। पिछले वर्ष विभागीय पेटी ठेकेदारों की लापरवाही से तीन लोगों की जान जा चुकी है। धोबनीपाली, कान्दुरपाली और ख़परपाली जैसे गांवों में हादसे हो चुके हैं, लेकिन हर बार विभाग ने लीपापोती कर मामला दबा दिया। सवाल यह है कि आखिर कब तक ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ किया जाता रहेगा और विभाग जिम्मेदारी से भागता रहेगा?

अनुभवहीन लोगों से कराए जा रहे खतरनाक काम

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि विभाग और पेटी ठेकेदारों की मिलीभगत से अनुभवहीन ग्रामीणों से बिजली लाइन और अन्य खतरनाक कार्य करवाए जा रहे हैं। यह न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि मासूम लोगों की जिंदगी से सीधा खिलवाड़ भी है।

जिम्मेदारी किसकी?

हर बार हादसे होने के बाद परिवारों को मुआवजे और वादों से बहलाने की कोशिश की जाती है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। यदि विभाग सख्त मॉनिटरिंग करे और गैर-सरकारी लोगों को इन कार्यों से दूर रखे, तो इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सकती है।

निष्कर्ष

गोबरसिंहा की ताजा घटना ने यह साफ कर दिया है कि विद्युत विभाग की नाफरमानी और लापरवाही का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है। गैर-सरकारी लोगों को काम सौंपना, मॉनिटरिंग की कमी, और लीपापोती की नीति से एक-एक कर मासूमों की जान जा रही है। सवाल उठता है कि आखिर कब तक ग्रामीणों को अपनी जान देकर विभाग की गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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