July 5, 2025

हेरफेर का पर्दाफाश: शिक्षा अधिकारी पर गिरी गाज, निलंबन की सिफारिश

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जिला संवाददाता-ओंकार शर्मा

गरियाबंद, एक ओर गरियाबंद जिले में लंबे अरसे से खाली पड़े पदों से जूझ रही शालाओं को आखिरकार राहत मिल गई है। प्रशासन ने अतिशेष शिक्षकों की खुली काउंसिलिंग करा कर उन्हें रिक्त प्राथमिक, मिडिल और हाई स्कूलों में तैनात कर दिया, नतीजा यह कि अब एक भी स्कूल पूरी तरह शिक्षक-विहीन नहीं है। मैनपुर, देवभोग व अन्य वनांचल ब्लॉकों में जहाँ कभी 16 स्कूल क्लासरूम तो थे, शिक्षक नहीं—अब वहाँ घंटी बजते ही पढ़ाई शुरू होती है। एकल शिक्षकीय शालाओं का आँकड़ा भी 167 से घटकर 46 रह गया है, और इन्हें जल्द दुरुस्त करने की कार्ययोजना तैयार है।

इसी ऐतिहासिक सुधार के बीच, छुरा विकासखंड शिक्षा अधिकारी के.एल. मतावले पर गंभीर आरोपों ने प्रशासन को सख्त होना पड़ा। कलेक्टर कार्यालय की जाँच रिपोर्ट बताती है कि मतावले ने युक्तियुक्तकरण के शासनादेशों की खुली अवहेलना की—समयसीमा तोड़ी, वरिष्ठता सूची छिपाई, और कई स्कूलों के नाम-पते तक उलट-पलट कर दिए। उनकी जानकारी के भरोसे काउंसिलिंग चालू होती तो आज भी कई दुर्गम गाँव शिक्षक का इंतज़ार कर रहे होते; यही कारण है कि प्रशासन ने तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश जारी की।

अव्यवस्था के ठोस उदाहरण भी कम नहीं थे। प्राथमिक शाला टिकरापारा रानीपरतेवा एवं सतनामीपारा रानीपरतेवा में वरिष्ठ शिक्षिका को जानबूझकर कनिष्ठ दिखा कर काउंसिलिंग में बुलाया गया, जबकि वे वरिष्ठ थीं। माध्यमिक शाला सांकरा में पाँच शिक्षक मौजूद होने पर भी किसी को अतिशेष नहीं माना गया। हाई स्कूल सेम्हरा, घटकर्रा, पंक्तिया और पेण्ड्रा में अतिथि अध्यापकों तथा वाणिज्य संकाय की गणना में ऐसा घालमेल किया गया कि योग्य शिक्षक अतिशेष घोषित हो गए और कक्षाएँ खाली पड़ती रहीं—हालाँकि दस्तावेज़ हकीकत को उल्टा साबित कर रहे थे।

जिला प्रशासन ने इन कृत्यों को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के सीधे उल्लंघन की श्रेणी में रखते हुए मतावले के निलंबन और विभागीय जाँच की अनुशंसा स्कूल शिक्षा विभाग, रायपुर को भेज दी है। संदेश स्पष्ट है—जिले ने जिस पारदर्शी प्रक्रिया से शिक्षक विहीन स्कूलों को जीवनदान दिया, उसे भ्रामक आँकड़ों से पटरी से नहीं उतरने दिया जाएगा। आने वाले महीनों में शेष 46 एकल शिक्षकीय शालाओं में भी दो-तीन विषयवार शिक्षक पहुँचने की तैयारी है, ताकि हर बच्चे के हाथ में किताब हो और हर क्लासरूम में पढ़ाने वाला गुरु।

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