सच बोले तो साज़िश! घरघोड़ा में जनप्रतिनिधि पर FIR का खेल, अब सवालों के घेरे में रायगढ़ एसपी…!
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रायगढ़/घरघोड़ा: सच बोलना अब राजद्रोह बन चुका है — और जो सत्ता की सड़ांध उजागर करे, उसे या तो फर्ज़ी मुकदमे में फंसाया जाता है या मानसिक रूप से कुचला जाता है।
घरघोड़ा में नगर पंचायत उपाध्यक्ष अमित त्रिपाठी के साथ जो कुछ हुआ, वह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, पूरे लोकतंत्र की हत्या की कोशिश है।
टीआई हटाया गया — लेकिन असली मास्टरमाइंड कौन? त्रिपाठी ने भ्रष्ट थाना प्रभारी की शिकायत की — वसूली, राजनीतिक संरक्षण और अन्याय के आरोप साबित भी हुए।
टीआई और आरक्षक लाइन हाजिर किए गए।
लेकिन जैसे ही कार्रवाई हुई — सिर्फ दो घंटे के भीतर त्रिपाठी पर फर्ज़ी FIR ठोक दी गई!
सवाल यह है कि इस साजिश की पटकथा लिखी किसने?…
क्या रायगढ़ एसपी इस खेल में मूकदर्शक या साझेदार हैं? : स्थानीय सूत्रों का दावा है कि FIR दर्ज करने की हड़बड़ी में रायगढ़ जिले के आला पुलिस अधिकारी भी शामिल थे।
यह भी आरोप है कि रायगढ़ पुलिस प्रमुख भाजपा से जुड़े रसूखदार नेताओं के इशारे पर कार्रवाई कर रहे हैं — जिनका मक़सद त्रिपाठी जैसे जनप्रतिनिधियों की आवाज़ को कुचलना है।
- क्या SP का दायित्व राजनीतिक आकाओं की सुरक्षा करना है या जनता के प्रतिनिधियों को न्याय दिलाना?
- क्या रायगढ़ पुलिस अब भाजपा दलालों की ‘प्राइवेट मिलिशिया’ बन चुकी है?
🚨 सवाल गहरे हैं, और जवाब शासन को देने होंगे:
- FIR से पहले क्या SP को पूरे तथ्यों की जानकारी दी गई थी?
- क्या CCTV और साक्ष्यों को अनदेखा कर सिर्फ सत्ता के दबाव में केस दर्ज हुआ?
- अगर त्रिपाठी दोषी थे, तो FIR रायगढ़ में क्यों दर्ज हुई, जबकि घटना की जगह घरघोड़ा थी?
- क्या रायगढ़ SP अब न्याय के प्रहरी नहीं, भाजपा के ‘अनौपचारिक पीआरओ’ बन चुके हैं?
🔊 पुलिस नहीं — यह सत्ता की ‘हिटलरशाही’ है!…
- जब सच्चाई पर केस हो और भ्रष्टाचार पर चुप्पी — तो जान लीजिए, सिस्टम की आत्मा मर चुकी है!
- घरघोड़ा थाना अब ‘न्याय का मंदिर’ नहीं, भाजपा संरक्षित साज़िशों की प्रयोगशाला बन चुका है।
- रायगढ़ SP की चुप्पी और तेज़ी से हुई FIR इस बात का इशारा है कि बड़े खेल में ऊपर तक की मिलीभगत है।
✊ अब जनता बोलेगी:
- “तुम्हारी वर्दी अगर संविधान की रक्षा नहीं कर सकती, तो वो सिर्फ डराने का लबादा है और हम अब डरेंगे नहीं!”
🔥 मांगें स्पष्ट हैं:
- FIR की निष्पक्ष जांच न्यायिक आयोग से कराई जाए।
- रायगढ़ SP की भूमिका की सीबीआई या हाईकोर्ट मॉनिटर जांच हो।
- त्रिपाठी को राज्य सुरक्षा और राजनीतिक उत्पीड़न से संरक्षण मिले।
- भ्रष्ट अफसरों और उनके राजनीतिक संरक्षकों के नाम उजागर किए जाएं।
📢 ये मामला सिर्फ त्रिपाठी का नहीं, यह हर उस इंसान का है जो बोलने की हिम्मत रखता है।
अब चुप नहीं बैठेंगे — रायगढ़ की धरती से बगावत की आग उठेगा।