बरमकेला के लुकापारा पंचायत में फर्जीवाड़ा उजागर – जांच टीम पर सवालिया निशान
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जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ बरमकेला // क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत लुकापारा में सरपंच देवानंद सामल और पंचायत सचिव रंजित सिंह सिदार पर गंभीर आरोप लगे हैं। धारा 40 (ग) के जांच प्रतिवेदन के सत्य प्रतिलिपि अनुसार, पंचायत के कामकाज और रिकॉर्ड संबंधी जांच के दौरान इन दोनों ने न केवल झूठा बयान तैयार किया, बल्कि फर्जी सील लगाकर दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। हैरानी की बात यह है कि इतनी गंभीर गड़बड़ी के बावजूद जनपद पंचायत की जांच टीम ने मानो आंखों पर काली पट्टी बांध ली, और जांच में इन बिंदुओं को नजरअंदाज कर दिया।
फर्जी दस्तावेज और सील का खेल
मामला तब सामने आया जब धारा 40 (ग)के जांच प्रतिलिपि से पंचायत के वित्तीय और प्रशासनिक कामकाज में अनियमितताओं की अंबार लगा हुआ है जांच में प्रस्तुत दस्तावेज से ये स्पष्ट है की दस्तावेजों पर सरपंच और सचिव दोनों के हस्ताक्षर और सील मौजूद हैं,और दोनो इस बात का पुख्ता प्रमाण है की सील नकली है और बयान भी पूरी तरह काल्पनिक है।
जांच टीम की भूमिका पर सवाल
जांच टीम का काम तथ्यों को परखना, गवाहों के बयान लेना और रिकॉर्ड की सत्यता की पुष्टि करना होता है। लेकिन लुकापारा पंचायत मामले में जांच टीम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।सत्य प्रतिलिपि के अवलोकन से जांच टीम पर प्रश्न चिन्ह जरूर उठता है न तो टीम मौके पर गई और ना ही तरीके से जांच की है बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि जांच महज़ औपचारिकता निभाने के लिए की गई, ताकि मामले को दबाया जा सके।
सरपंच सचिव और जांच टीम की मिलीभगत
जांच टीम ने धारा 40 का जो चांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है वो पूरी तरह से काल्पनिक है ऐसा इस लिए भी कहा जा सकता है की जांच टीम की प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन सवालों के कटघरे में है प्रश्न ये है कि यदि जांच टीम यदि ग्राम पंचायत लुकापारा में जा कर जांच की है तो फिर झूठा बयान और नकली सील नही लगा होता और यही बात जांच टीम पर सवाल खड़े करती है की क्या जांच टीम ने सरपंच देवानंद समाल से आर्थिक लाभ लेकर ऐसा किया है और सरपंच सचिव को बचाने का पूरा प्रयास किया है अब सबसे बड़ा सवाल ये है की जांच टीम ने कितना आर्थिक लाभ लिया है ये अब नया जांच का विषय बन गया है जांच टीम ऐसे ही जांच करेगी तो निष्पक्ष पारदर्शी न्याय कैसे होगा?
कानूनी प्रावधान और संभावित कार्रवाई
सरपंच सचिव का लिखित बयान उनके 420 का उल्लेख करता जो भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत, फर्जी दस्तावेज तैयार करना, सरकारी सील का दुरुपयोग करना और सरकारी कार्य में धोखाधड़ी करना गंभीर अपराध है। इसके लिए दोषियों को जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है। साथ ही, पंचायत राज अधिनियम के तहत ऐसे पदाधिकारियों को उनके पद से तत्काल हटाया भी जा सकता है।
निष्कर्ष
लुकापारा पंचायत का यह मामला केवल एक पंचायत की गड़बड़ी नहीं है, बल्कि यह पूरे पंचायत व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है। अगर इस पर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह उदाहरण बन जाएगा कि फर्जीवाड़ा करके भी जांच से बचा जा सकता है।